Shree Rani Sati Chalisa
|| दोहा ||
श्री गुरु पद पंकज नमन, दुषित भाव सुधार,
राणी सती सू विमल यश, बरणौ मति अनुसार,
काम क्रोध मद लोभ मै, भरम रह्यो संसार,
शरण गहि करूणामई, सुख सम्पति संसार॥
|| चौपाई ||
नमो नमो श्री सती भवानी। जग विख्यात सभी मन मानी ॥
नमो नमो संकट कू हरनी। मनवांछित पूरण सब करनी ॥
नमो नमो जय जय जगदंबा। भक्तन काज न होय विलंबा ॥
नमो नमो जय जय जगतारिणी। सेवक जन के काज सुधारिणी ॥
दिव्य रूप सिर चूनर सोहे । जगमगात कुन्डल मन मोहे ॥
मांग सिंदूर सुकाजर टीकी । गजमुक्ता नथ सुंदर नीकी ॥
गल वैजंती माल विराजे । सोलहूं साज बदन पे साजे ॥
धन्य भाग गुरसामलजी को । महम डोकवा जन्म सती को ॥
तनधनदास पति वर पाये । आनंद मंगल होत सवाये ॥
जालीराम पुत्र वधु होके । वंश पवित्र किया कुल दोके ॥
पति देव रण मॉय जुझारे । सति रूप हो शत्रु संहारे ॥
पति संग ले सद् गती पाई । सुर मन हर्ष सुमन बरसाई ॥
धन्य भाग उस राणा जी को । सुफल हुवा कर दरस सती का ॥
विक्रम तेरह सौ बावन कूं । मंगसिर बदी नौमी मंगल कूं ॥
नगर झून्झूनू प्रगटी माता । जग विख्यात सुमंगल दाता ॥
दूर देश के यात्री आवै । धुप दिप नैवैध्य चढावे ॥
उछाङ उछाङते है आनंद से । पूजा तन मन धन श्रीफल से ॥
जात जङूला रात जगावे । बांसल गोत्री सभी मनावे ॥
पूजन पाठ पठन द्विज करते । वेद ध्वनि मुख से उच्चरते ॥
नाना भाँति भाँति पकवाना । विप्र जनो को न्यूत जिमाना ॥
श्रद्धा भक्ति सहित हरसाते । सेवक मनवांछित फल पाते ॥
जय जय कार करे नर नारी । श्री राणी सतीजी की बलिहारी ॥
द्वार कोट नित नौबत बाजे । होत सिंगार साज अति साजे ॥
रत्न सिंघासन झलके नीको । पलपल छिनछिन ध्यान सती को ॥
भाद्र कृष्ण मावस दिन लीला । भरता मेला रंग रंगीला ॥
भक्त सूजन की सकल भीङ है । दरशन के हित नही छीङ है
॥
अटल भुवन मे ज्योति तिहारी । तेज पूंज जग मग उजियारी ॥
आदि शक्ति मे मिली ज्योति है । देश देश मे भवन भौति है ॥
नाना विधी से पूजा करते । निश दिन ध्यान तिहारो धरते ॥
कष्ट निवारिणी दुख: नासिनी । करूणामयी झुन्झुनू वासिनी ॥
प्रथम सती नारायणी नामा । द्वादश और हुई इस धामा ॥
तिहूं लोक मे कीरति छाई । राणी सतीजी की फिरी दुहाई ॥
सुबह शाम आरती उतारे । नौबत घंटा ध्वनि टंकारे ॥
राग छत्तीसों बाजा बाजे । तेरहु मंड सुन्दर अति साजे ॥
त्राहि त्राहि मै शरण आपकी । पुरी मन की आस दास की ॥
मुझको एक भरोसो तेरो । आन सुधारो मैया कारज मेरो ॥
पूजा जप तप नेम न जानू । निर्मल महिमा नित्य बखानू ॥
भक्तन की आपत्ति हर लिनी । पुत्र पौत्र सम्पत्ति वर दीनी ॥
पढे चालीसा जो शतबारा । होय सिद्ध मन माहि विचारा ॥
टिबरिया ली शरण तिहारी। क्षमा करो सब चूक हमारी ॥
|| दोहा ||
दुख आपद विपदा हरण, जन जीवन आधार ।
बिगङी बात सुधारियो, सब अपराध बिसार ॥
॥ मात श्री राणी सतीजी की जय ॥