Uttar Kand - Shri Ramcharitmanas
उत्तर कांड रामायण का अंतिम खंड है। यह उन घटनाओं का वर्णन करता है जो वनवास से राम, सीता और लक्ष्मण की वापसी के बाद हुई थीं। यह राम के पृथ्वी से अंतिम प्रस्थान और उनके दिव्य निवास तक के स्वर्गारोहण को भी सुनाता है। उत्तर कांड राम के अयोध्या के राजा के रूप में राज्याभिषेक और उनके आदर्श शासन, राम राज्य की स्थापना के साथ शुरू होता है। राम राज्य शांति, समृद्धि और धर्म की एक ऐसी स्थिति है जहां लोग खुश और गुणी हैं, और पशु और पौधे एक साथ रहते हैं। राम का शासन धर्म के सिद्धांतों पर आधारित है, जो सभी प्राणियों के लिए नैतिक और नैतिक आचरण का है। राम स्वयं धर्म का अवतार हैं, और वे हर स्थिति में इसका पालन करते हैं, भले ही इससे उन्हें व्यक्तिगत पीड़ा या हानि हो। राम का प्रशासन कुशल और निष्पक्ष है, और वे बिना किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात के सभी को न्याय देते हैं। वे अपनी प्रजा को किसी भी बाहरी खतरे या शत्रुओं से भी बचाते हैं, और अन्य राजाओं और ऋषियों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाए रखते हैं। उत्तर कांड राम के पृथ्वी पर जीवन के अंतिम क्षणों और भगवान विष्णु, ब्रह्मांड के सर्वोच्च भगवान के रूप में उनके मूल रूप में उनकी वापसी का वर्णन करता है। उनका प्रस्थान त्रेता युग के अंत तथा द्वापर युग की शुरुआत का प्रतीक है।
उत्तर कांड की कुछ प्रमुख घटनाएँ इस प्रकार हैं:
- सीता का वनवास
- अश्वमेध यज्ञ
- राम का अंतिम गमन
- मंगलाचरण
- भरत विरह तथा भरत-हनुमान मिलन, अयोध्या में आनंद
- श्री रामजी का स्वागत, भरत मिलाप, सबका मिलनानन्द
- राम राज्याभिषेक, वेदस्तुति, शिवस्तुति
- वानरों की और निषाद की विदाई
- रामराज्य का वर्णन
- पुत्रोत्पति, अयोध्याजी की रमणीयता, सनकादिका आगमन और संवाद
- हनुमानजी के द्वारा भरतजी का प्रश्न और श्री रामजी का उपदेश
- श्री रामजी का प्रजा को उपदेश (श्री रामगीता), पुरवासियों की कृतज्ञता
- श्री राम-वशिष्ठ संवाद, श्री रामजी का भाइयों सहित अमराई में जाना
- नारदजी का आना और स्तुति करके ब्रह्मलोक को लौट जाना
- शिव-पार्वती संवाद, गरुड़ मोह, गरुड़जी का काकभुशुण्डि से रामकथा और राम महिमा सुनना
- काकभुशुण्डि का अपनी पूर्व जन्म कथा और कलि महिमा कहना
- गुरुजी का अपमान एवं शिवजी के शाप की बात सुनना
- रुद्राष्टक
- गुरुजी का शिवजी से अपराध क्षमापन, शापानुग्रह और काकभुशुण्डि की आगे की कथा
- काकभुशुण्डिजी का लोमशजी के पास जाना और शाप तथा अनुग्रह पाना
- ज्ञान-भक्ति-निरुपण, ज्ञान-दीपक और भक्ति की महान् महिमा
- गरुड़जी के सात प्रश्न तथा काकभुशुण्डि के उत्तर
- भजन महिमा
- रामायण माहात्म्य, तुलसी विनय और फलस्तुति
- रामायणजी की आरती